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VISHNU PURAN KI SANKSHIT WIWARAN

विष्णु पुराण: एक संक्षिप्त विवरण

विष्णु पुराण भारतीय पुराणों में से एक प्रमुख ग्रंथ है, जो भगवान विष्णु के आद्यात्मिक और सृजनात्मक स्वरूप के बारे में विस्तृत रूप से बताता है। यह पुराण संस्कृत में लिखा गया है और यह पुराण 18 महापुराणों में से एक है। विष्णु पुराण का प्रमुख विषय भगवान विष्णु के अवतार, उनकी लीलाएँ, उनके भक्तों की कहानियाँ, और उनके द्वारा किए गए कार्यों का वर्णन है। इस पुराण में 6 महापुराणिक संकल्पनाएँ जैसे सृष्टि, प्रलय, देवता, असुर, ऋषि, और महान व्यक्तित्वों की गाथाएँ निहित हैं।

1. विष्णु पुराण का महत्त्व

विष्णु पुराण का महत्त्व हिंदू धर्म में विशेष रूप से उस कारण से है कि यह भगवान विष्णु के आदर्श और उनकी लीला के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान करता है। विष्णु पुराण के माध्यम से विष्णु के अवतारों की महिमा का बखान किया जाता है और यह पुराण धार्मिक, दार्शनिक और ऐतिहासिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है।

विष्णु पुराण की कुल 6 भाग होते हैं, जिनमें सृष्टि, वृत्तांत, मानवता, कर्म, धर्म, और मोक्ष पर गहन विचार किए जाते हैं। इसमें भगवान विष्णु के 10 अवतारों (दशावतार) का भी उल्लेख है, जिनमें से प्रमुख हैं: मत्स्य, कूर्म, वराह, नरसिंह, वामन, परशुराम, राम, कृष्ण, बुद्ध और कल्कि।

2. विष्णु पुराण का संक्षिप्त सारांश

विष्णु पुराण का वर्णन विभिन्न कथाओं, श्लोकों और आख्यानों के रूप में किया गया है। इसमें भगवान विष्णु के उत्पत्ति, उनके द्वारा किए गए विभिन्न कार्यों, और उनके भक्तों के बारे में बताया गया है।

सृष्टि की उत्पत्ति

विष्णु पुराण के पहले भाग में सृष्टि की उत्पत्ति का वर्णन है। इसके अनुसार, भगवान विष्णु ने ही इस ब्रह्मांड की रचना की। सबसे पहले भगवान विष्णु ने ‘नारायण’ के रूप में स्वयं को प्रकट किया और फिर उनके शरीर से ब्रह्मा उत्पन्न हुए, जिनके द्वारा सृष्टि की रचना की गई।

भगवान विष्णु के अवतार

विष्णु पुराण में भगवान विष्णु के दशावतार का वर्णन है, जो उनके द्वारा पृथ्वी पर विभिन्न रूपों में आने की घटनाएँ हैं। ये दस अवतार हैं:

  1. मत्स्य (मछली का अवतार): भगवान विष्णु ने मछली के रूप में प्रकट होकर प्रलय के समय वेदों और ऋषियों को बचाया।
  2. कूर्म (कछुए का अवतार): भगवान ने कछुए के रूप में प्रकट होकर मंदराचल पर्वत को अपने कछुए के शेल पर रखा और समुद्र मंथन में मदद की।
  3. वराह (सूअर का अवतार): वराह अवतार में भगवान ने राक्षस हिरण्याक्ष को हराया और पृथ्वी को समुद्र से उबारने के लिए अपनी सूंड़ से उठाया।
  4. नरसिंह (आधि-मानव और शेर का अवतार): भगवान विष्णु ने नरसिंह के रूप में प्रकट होकर राक्षस हिरण्यकश्यप का वध किया।
  5. वामन (बौने ब्राह्मण का अवतार): वामन अवतार में भगवान ने राक्षस बलि से तीन पग भूमि के रूप में संपूर्ण ब्रह्मांड का अंश लिया।
  6. परशुराम (आधुनिक ब्राह्मण का अवतार): भगवान ने ब्राह्मण के रूप में पृथ्वी पर आने वाले असुरों का नाश किया।
  7. राम (राम का अवतार): भगवान विष्णु ने राम के रूप में रावण का वध किया और धरती पर धर्म की पुनर्स्थापना की।
  8. कृष्ण (कृष्ण का अवतार): कृष्ण का जीवन महाभारत के युग से जुड़ा हुआ है। उन्होंने अर्जुन को भगवद गीता का उपदेश दिया।
  9. बुद्ध (बुद्ध का अवतार): भगवान विष्णु ने बुद्ध के रूप में अवतार लिया और अहिंसा का संदेश दिया।
  10. कल्कि (भविष्य में अवतार): यह अवतार भविष्य में होगा, जब भगवान विष्णु पृथ्वी पर अवतार लेकर असुरों का नाश करेंगे।

भगवान विष्णु का यज्ञ और पूजा

विष्णु पुराण में भगवान विष्णु की पूजा और आराधना के लिए विशेष महत्व बताया गया है। उनकी उपासना के लिए विभिन्न प्रकार के यज्ञ और अनुष्ठान किए जाते हैं। विशेष रूप से विष्णु सहस्रनाम और श्रीमद्भगवद्गीता में भगवान विष्णु की महिमा का बखान किया गया है।

3. विष्णु पुराण में भगवान विष्णु के प्रमुख गुण

विष्णु पुराण में भगवान विष्णु को एक आदर्श देवता के रूप में चित्रित किया गया है, जिनके गुणों का पालन मानवता के लिए आवश्यक बताया गया है। भगवान विष्णु को निम्नलिखित गुणों से विभूषित किया गया है:

  • सत्यम् (सत्य): भगवान विष्णु सत्य के प्रतीक हैं, वे हमेशा सत्य की रक्षा करते हैं।
  • दया (दयालुता): भगवान विष्णु हमेशा अपने भक्तों पर कृपा बरसाते हैं और उनकी कठिनाइयों का निवारण करते हैं।
  • धर्म (धर्म का पालन): वे धर्म के पालन में विश्वास रखते हैं और सदैव न्यायपूर्ण कार्य करते हैं।
  • कृपा (कृपालु): भगवान विष्णु अपने भक्तों के पापों को क्षमा करते हैं और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति में मदद करते हैं।

4. विष्णु पुराण के महत्वपूर्ण पात्र

विष्णु पुराण में कई प्रमुख पात्रों का उल्लेख किया गया है, जिनका जीवन भगवान विष्णु के साथ जुड़ा हुआ है। इनमें से कुछ प्रमुख पात्र हैं:

  • ब्रह्मा: भगवान विष्णु के साथ ब्रह्मा सृष्टि के सृजनकर्ता के रूप में प्रमुख हैं। वे विष्णु के आदेशों के अनुसार कार्य करते हैं।
  • शिव: भगवान शिव विष्णु के सहयोगी देवता के रूप में कार्य करते हैं। उनका संबंध भी भगवान विष्णु के साथ गहरे रूप में होता है।
  • देवी लक्ष्मी: देवी लक्ष्मी भगवान विष्णु की पत्नी हैं, जो सुख, समृद्धि और ऐश्वर्य की देवी हैं।
  • अर्जुन और युधिष्ठिर: महाभारत के समय भगवान विष्णु ने कृष्ण के रूप में अर्जुन और युधिष्ठिर का मार्गदर्शन किया।

5. विष्णु पुराण की धार्मिक दृष्टि

विष्णु पुराण न केवल भगवान विष्णु की पूजा के महत्व को रेखांकित करता है, बल्कि यह जीवन के विभिन्न पहलुओं को भी प्रस्तुत करता है, जैसे धर्म, कर्म, भक्ति और मोक्ष। इस पुराण के माध्यम से यह संदेश दिया गया है कि भगवान विष्णु का भव्य रूप और उनके अवतार मानवता के कल्याण के लिए होते हैं। हर युग में धर्म की पुनर्स्थापना हेतु भगवान विष्णु पृथ्वी पर अवतार लेते हैं।

भगवान विष्णु का नामकरण भारतीय धार्मिक परंपरा और पौराणिक कथाओं में एक महत्वपूर्ण और रोचक प्रसंग है। भगवान विष्णु, हिंदू धर्म के त्रिमूर्ति (ब्रह्मा, विष्णु, महेश) के दूसरे सदस्य हैं, जिनकी उपासना विश्व के पालनकर्ता और रक्षक के रूप में की जाती है। उनका नाम “विष्णु” और उनके कई अन्य नाम हैं, जो उनके विभिन्न रूपों और शक्तियों को व्यक्त करते हैं। इस लेख में हम भगवान विष्णु के नामकरण के विषय में विस्तार से चर्चा करेंगे। http://www.alexa.com/siteinfo/sanatanikatha.com 

1. भगवान विष्णु का अर्थ और नाम

“विष्णु” शब्द संस्कृत के “विश” (विस्तार) शब्द से लिया गया है, जिसका अर्थ है “विस्तार करना” या “व्यापक होना”। इस नाम से यह प्रतीत होता है कि भगवान विष्णु वह शक्ति हैं जो ब्रह्मांड को संचारित, पालन और रक्षा करते हैं। उनके नाम का यह अर्थ उनके सार्वभौमिक स्वरूप को दर्शाता है, क्योंकि वे प्रत्येक प्राणी और प्रत्येक तत्व में उपस्थित होते हैं।

इसके अतिरिक्त, भगवान विष्णु के अनेक नाम और उपनाम भी हैं, जैसे “नारायण”, “हरि”, “गोविंद”, “मधुसूदन” आदि। इन नामों का प्रकट होना उनके विभिन्न रूपों और भक्तों के साथ उनके संबंध को दर्शाता है। प्रत्येक नाम भगवान विष्णु के किसी विशेष गुण या उनके भक्तों के प्रति उनके प्यार को व्यक्त करता है।

2. भगवान विष्णु का नामकरण पौराणिक कथाओं में

विष्णु के नामकरण की प्रक्रिया से संबंधित कई पौराणिक कथाएँ हैं, जो विशेष रूप से वेदों, उपनिषदों, और पुराणों में मिलती हैं। एक प्रसिद्ध कथा है जो भगवान विष्णु के अवतारों से संबंधित है।

2.1. ब्रह्मा के माध्यम से नामकरण

वेदों के अनुसार, भगवान विष्णु का नामकरण ब्रह्मा ने किया था। ब्रह्मा को सृष्टि के सृजन का कर्ता माना जाता है और वह भगवान विष्णु के आदेश से सृष्टि का निर्माण करते हैं। एक दिन जब ब्रह्मा ने ध्यानमग्न होकर सृष्टि के बारे में सोचा, तब भगवान विष्णु ने उन्हें दर्शन दिए और ब्रह्मा ने उनके विस्तृत रूप को देखा। तब ब्रह्मा ने भगवान विष्णु को “विष्णु” नाम से संबोधित किया, जिसका अर्थ है “जो ब्रह्मांड का पालन और रक्षा करता है।”

2.2. विष्णु और उनके अवतार

भगवान विष्णु के अवतारों से जुड़ी कुछ कथाएँ उनके नामकरण को स्पष्ट करती हैं। भगवान विष्णु के दस प्रमुख अवतार (दशावतार) हैं, जिनमें मछली (मत्स्य), कच्छप (कूर्म), वराह, नरसिंह, वामन, परशुराम, राम, कृष्ण, बुद्ध और काल्कि प्रमुख हैं। प्रत्येक अवतार में भगवान विष्णु ने पृथ्वी पर आकर धर्म की स्थापना की और अधर्म का नाश किया। इन अवतारों में से प्रत्येक अवतार के साथ भगवान विष्णु के नए नाम जुड़े हैं, जैसे राम के रूप में “राम” और कृष्ण के रूप में “कृष्ण” या “गोविंद”।

2.3. विष्णु का महासंस्कार और नामकरण

एक और प्रसिद्ध कथा विष्णु के महासंस्कार से संबंधित है, जो भगवद गीता में भगवान श्री कृष्ण के माध्यम से प्रकट होती है। जब अर्जुन ने कृष्ण से उनके वास्तविक स्वरूप को देखने की इच्छा व्यक्त की, तब कृष्ण ने अपना विराट रूप दिखाया। इस रूप में भगवान विष्णु के असंख्य हाथ, सिर, और आंखें थीं, जो पूरे ब्रह्मांड को समाहित करती थीं। इस रूप को देखकर अर्जुन ने भगवान श्री कृष्ण को “विष्णु” नाम से पुकारा, क्योंकि वे समग्र ब्रह्मांड के विस्तार और संहार के कारण ही इस नाम से प्रसिद्ध हुए थे।

3. भगवान विष्णु के नामों का महत्व

भगवान विष्णु के विभिन्न नामों का उच्चारण करने से भक्तों को शांति, समृद्धि और मोक्ष की प्राप्ति होती है। उनके नामों का जप विशेष रूप से ध्यान और साधना में उपयोगी होता है। भगवान विष्णु के कुछ प्रमुख नाम और उनका महत्व निम्नलिखित है:

  • नारायण: यह नाम भगवान विष्णु के व्यापक और सर्वव्यापी स्वरूप को दर्शाता है। नारायण का अर्थ है “जिसके भीतर सभी जीव रहते हैं”।
  • हरि: यह नाम भगवान विष्णु का प्रसिद्ध नाम है, जो उनके शत्रुओं का नाश करने की शक्ति को व्यक्त करता है।
  • गोविंद: यह नाम भगवान विष्णु के गोकुल में कृष्ण रूप में अवतार लेने से संबंधित है। यह नाम विशेष रूप से भगवान कृष्ण के भक्तों द्वारा किया जाता है।
  • मधुसूदन: यह नाम भगवान विष्णु के उस रूप को दर्शाता है जब उन्होंने मधु दानव का वध किया था।
  • केशव: यह नाम भगवान विष्णु के उस रूप को व्यक्त करता है जिसमें उन्होंने मच्छ रूप में अवतार लिया था और समुद्र मंथन के समय अमृत मंथन किया था।

इन नामों का उच्चारण विशेष रूप से भक्तों के लिए कल्याणकारी होता है, क्योंकि भगवान के नाम में शक्ति होती है जो भक्ति और साधना के माध्यम से भक्तों को आत्मिक उन्नति की ओर अग्रसर करती है।

4. भगवान विष्णु के नामकरण के सांस्कृतिक और धार्मिक पहलू

भगवान विष्णु का नामकरण और उनके विभिन्न रूपों की पूजा भारतीय संस्कृति और धर्म में गहरे समाहित हैं। हिंदू धर्म में भगवान विष्णु के नामों का जप और उनकी उपासना न केवल धार्मिक कर्तव्य माना जाता है, बल्कि यह व्यक्ति के मानसिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य के लिए भी महत्वपूर्ण है। विशेष रूप से हरि का नाम जप करने से |

भगवान विष्णु के नामकरण से जुड़ी घटनाएँ और उनके रूपों के बारे में कथाएँ हमें जीवन के विभिन्न पहलुओं को समझने में मदद करती हैं। ये कथाएँ हमें यह सिखाती हैं कि भगवान का नाम ही ब्रह्मांड की सृष्टि और विध्वंस का कारण है, और उनका नाम ही संसार में शांति और सामंजस्य स्थापित करता है।

निष्कर्ष

भगवान विष्णु का नामकरण भारतीय पौराणिक कथाओं में एक महत्त्वपूर्ण स्थान रखता है, जो न केवल उनकी शक्ति और कार्यों को दर्शाता है, बल्कि उनके विभिन्न रूपों की उपासना से भक्तों को आध्यात्मिक उन्नति की दिशा में मार्गदर्शन भी करता है। भगवान विष्णु के नामों का जप और पूजा हर भक्त के जीवन में सकारात्मक प्रभाव डालती है और उन्हें आत्मा के स्तर पर शांति और संतोष प्रदान करती है।

विष्णु पुराण भारतीय धार्मिक साहित्य का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और यह न केवल भगवान विष्णु के बारे में ज्ञान प्रदान करता है, बल्कि हमारे जीवन के प्रत्येक पहलू को समझने का एक मार्ग भी प्रदान करता है। भगवान विष्णु की पूजा और भक्ति के माध्यम से आत्मा के उद्धार और मोक्ष की प्राप्ति संभव है। इस पुराण के उपदेशों को जीवन में अपनाकर व्यक्ति धर्म और सत्य की ओर अग्रसर हो सकता है।

विष्णु पुराण में वर्णित भगवान विष्णु के गुण, उनके अवतार, और उनकी लीलाएँ हमें जीवन के सही मार्ग पर चलने की प्रेरणा देती हैं। इसके शास्त्रीय संदेश आज भी प्रासंगिक हैं और इन्हें समाज में धार्मिक, सांस्कृतिक और नैतिक दृष्टि से लागू किया जा सकता है।

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