सनातनी कथा में दीपावली और राम कथा
सनातन धर्म की गहन और अद्वितीय परंपरा में अनेक पर्व और उत्सव आते हैं, जिनमें से दीपावली का स्थान अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह पर्व न केवल धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। दीपावली का गहरा संबंध भगवान श्रीराम की कथा से है, जो जीवन में धर्म, सत्य, और आदर्शों की स्थापना का प्रतीक है। इस लेख में, हम दीपावली और राम कथा के बीच के गहरे संबंध और उनके आध्यात्मिक, धार्मिक, और सांस्कृतिक पहलुओं पर विचार करेंगे।
दीपावली: एक परिचय
दीपावली, जिसे ‘दीपोत्सव’ भी कहा जाता है, भारत के सबसे बड़े और प्रमुख पर्वों में से एक है। इसका अर्थ है ‘दीपों की पंक्ति’। यह पर्व पांच दिनों तक मनाया जाता है, जो धनतेरस से प्रारंभ होकर भैया दूज तक चलता है। हर दिन का अपना एक विशेष महत्व होता है।
सनातन धर्म में दीपावली को भगवान श्रीराम, माता सीता और भाई लक्ष्मण के 14 वर्षों के वनवास के बाद अयोध्या वापसी के रूप में मनाया जाता है। इस अवसर पर अयोध्यावासियों ने अपने नगर को दीपों से सजाया और उत्सव मनाया। इस कथा ने दीपावली के उत्सव को एक अद्वितीय धार्मिक और सांस्कृतिक आधार प्रदान किया।
रामायण और राम कथा का संक्षिप्त परिचय

रामायण, महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित महाकाव्य, भारतीय संस्कृति और सभ्यता की आधारशिला है। इसमें भगवान श्रीराम की जीवन यात्रा, उनके आदर्श, और उनके कर्तव्यों का वर्णन है। रामायण केवल एक कथा नहीं, बल्कि जीवन के हर पहलू को दिशा देने वाला ग्रंथ है। http://www.statbrain.com/sanatanikatha.com
श्रीराम, विष्णु के सातवें अवतार माने जाते हैं। वे मर्यादा पुरुषोत्तम के रूप में आदर्श पुत्र, आदर्श पति, आदर्श राजा और आदर्श मानव का उदाहरण प्रस्तुत करते हैं। उनकी कथा त्रेतायुग में घटित होती है, जिसमें उन्होंने रावण के अत्याचारों से पृथ्वी को मुक्त कर धर्म की स्थापना की।
दीपावली और राम कथा का संबंध
राम कथा के मुख्य घटनाक्रम में वनवास और रावण पर विजय प्रमुख हैं। 14 वर्षों के वनवास के बाद जब श्रीराम लंका पर विजय प्राप्त करके माता सीता और भाई लक्ष्मण के साथ अयोध्या लौटे, तो अयोध्यावासियों ने अपने प्रिय राजा के स्वागत के लिए दीप जलाए। यह घटना अयोध्या में हर्ष और उल्लास का प्रतीक बन गई।
- अयोध्या में दीपों का प्रकाश
भगवान राम के अयोध्या लौटने का समाचार सुनकर समस्त नगरवासियों ने घरों को साफ किया, दीप जलाए और नगर को दियों की माला से सजाया। यह घटना दीपावली के मुख्य तत्वों में से एक है। - सत्य की विजय का उत्सव
राम कथा का मुख्य संदेश सत्य और धर्म की विजय है। रावण, जो अहंकार और अधर्म का प्रतीक था, उसकी पराजय भगवान राम के हाथों हुई। दीपावली इसी विजय का उत्सव है। - धार्मिक और आध्यात्मिक संदेश
राम कथा और दीपावली दोनों ही यह संदेश देते हैं कि जीवन में धर्म और सत्य के पथ पर चलने से ही अज्ञान और अंधकार को दूर किया जा सकता है। दीपावली पर जलाए गए दीपक केवल बाहरी प्रकाश नहीं, बल्कि हमारे भीतर के अंधकार को मिटाने का प्रतीक हैं।
दीपावली का पंचदिवसीय उत्सव और राम कथा
1. धनतेरस

यह दिन भगवान धन्वंतरि के जन्म का उत्सव है। राम कथा में इसका अप्रत्यक्ष संबंध उस समृद्धि से है जो श्रीराम के अयोध्या लौटने पर अयोध्यावासियों ने अनुभव की थी।
2. नरक चतुर्दशी
रावण वध के बाद, यह दिन नरकासुर के अंत का भी प्रतीक है। यह बुराई के अंत और आत्मशुद्धि का दिन है।
3. दीपावली
दीपावली का मुख्य दिन श्रीराम, सीता और लक्ष्मण की अयोध्या वापसी के रूप में मनाया जाता है। इस दिन लक्ष्मी पूजा का विशेष महत्व है, जो समृद्धि और सुख-शांति का प्रतीक है।
4. गोवर्धन पूजा
यह दिन भगवान श्रीकृष्ण के गोवर्धन पर्वत उठाने की कथा से जुड़ा है, लेकिन यह हमें राम कथा के उस प्रसंग की भी याद दिलाता है जब श्रीराम ने प्रकृति और प्रजा की रक्षा के लिए कर्तव्यनिष्ठा दिखाई।
5. भैया दूज
इस दिन बहनें अपने भाइयों की लंबी उम्र और सुख-शांति की कामना करती हैं। यह श्रीराम और उनकी बहन शांता के प्रेम का प्रतीक हो सकता है।
राम कथा में दीपावली का सांस्कृतिक प्रभाव
- सामाजिक एकता का प्रतीक
राम कथा ने समाज में एकता और समरसता का संदेश दिया। दीपावली पर अयोध्यावासी जिस उत्साह और उल्लास से एकत्रित हुए, वह आज भी हमारी सामाजिक परंपरा का हिस्सा है। - आध्यात्मिक उन्नति
दीपावली केवल भौतिक समृद्धि का पर्व नहीं है, बल्कि यह हमारे भीतर आत्मा के प्रकाश को जागृत करने का अवसर है। राम कथा में श्रीराम के चरित्र और आदर्श हमें यह प्रेरणा देते हैं कि सच्चा प्रकाश हमारे भीतर से ही आता है। - परिवार और समाज का महत्त्व
श्रीराम ने अपने जीवन में परिवार और समाज को सर्वोच्च स्थान दिया। दीपावली भी परिवार और समाज के साथ मिलकर खुशी मनाने का पर्व है।
दीपावली और पर्यावरण का ध्यान

श्रीराम के समय में दीपावली का उत्सव पर्यावरण और प्रकृति के साथ सामंजस्य में मनाया गया। दीप जलाने के लिए प्राकृतिक तेल और मिट्टी के दीपक का उपयोग किया गया। आज के समय में भी हमें इस पारंपरिक तरीके को अपनाना चाहिए, ताकि पर्यावरण संतुलन बना रहे।
दीपावली, जिसे दिवाली भी कहा जाता है, भारतीय संस्कृति और परंपरा का एक महत्वपूर्ण त्योहार है। यह त्योहार मुख्यतः हिंदू धर्म से संबंधित है, लेकिन इसे जैन, सिख और बौद्ध धर्म के अनुयायियों द्वारा भी मनाया जाता है। दीपावली का अर्थ है “दीपों की पंक्ति”। इसे अंधकार पर प्रकाश, अज्ञान पर ज्ञान, और बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक माना जाता है।
संस्कृतियों और परंपराओं की विविधता के कारण, दीपावली का हर क्षेत्र में अलग-अलग महत्व और कथाएं हैं। खासकर, “सनातनी कथाओं” में दीपावली का उल्लेख कई धार्मिक और ऐतिहासिक घटनाओं से जुड़ा हुआ है।
1. भगवान राम की अयोध्या वापसी
सनातन धर्म की प्रमुख कथा के अनुसार, दीपावली का मुख्य संदर्भ रामायण से है। भगवान राम, जिन्हें भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है, ने राक्षस राजा रावण का वध किया और अयोध्या लौटे।
- कथा का वर्णन:
जब भगवान राम 14 वर्षों के वनवास और लंका में रावण का वध करने के बाद माता सीता और भाई लक्ष्मण के साथ अयोध्या लौटे, तो अयोध्यावासियों ने उनका स्वागत दीप जलाकर और नगर को सजाकर किया। - प्रतीकात्मकता:
राम की अयोध्या वापसी अच्छाई की बुराई पर विजय को दर्शाती है। इस घटना को दीपावली के रूप में मनाने की परंपरा आज भी जारी है। दीप जलाने का अर्थ है अज्ञान और अंधकार का नाश।
2. माता लक्ष्मी का प्राकट्य
सनातन धर्म में दीपावली को माता लक्ष्मी के पूजन के लिए भी प्रमुख माना जाता है।
- कथा का वर्णन:
समुद्र मंथन की कथा के अनुसार, जब देवताओं और असुरों ने मिलकर समुद्र मंथन किया, तो उसमें से चौदह रत्न प्राप्त हुए। उनमें से एक रत्न माता लक्ष्मी थीं, जो धन, वैभव और समृद्धि की देवी मानी जाती हैं। माता लक्ष्मी ने इसी दिन भगवान विष्णु को अपने पति के रूप में चुना। - प्रतीकात्मकता:
दीपावली पर लक्ष्मी पूजन का आयोजन इसलिए किया जाता है ताकि घर में धन और सुख-शांति का वास हो। इस दिन लोग अपने घरों और कार्यालयों को दीपों और रंगोली से सजाते हैं ताकि माता लक्ष्मी प्रसन्न हों और उनके घर में प्रवेश करें।
3. नरकासुर वध और कृष्ण की विजय

भगवान कृष्ण की कथाओं में भी दीपावली का उल्लेख मिलता है।
- कथा का वर्णन:
भगवान कृष्ण ने दीपावली से एक दिन पहले दुष्ट राक्षस नरकासुर का वध किया था। नरकासुर ने हजारों कन्याओं को बंदी बना रखा था और अपने अत्याचारों से पूरे क्षेत्र में आतंक फैलाया था। भगवान कृष्ण ने उसका वध कर उन कन्याओं को मुक्त कराया। - प्रतीकात्मकता:
यह घटना भी बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है। नरक चतुर्दशी के दिन इस विजय का उत्सव मनाया जाता है, जिसे दीपावली का आरंभिक दिन भी माना जाता है।
4. महालक्ष्मी पूजन और व्यावसायिक वर्ष की शुरुआत
भारत के व्यापारिक समुदाय के लिए दीपावली का विशेष महत्व है।
- कथा का वर्णन:
दीपावली के दिन व्यापारी अपनी नई खाता-बही की शुरुआत करते हैं और इसे “लक्ष्मी पूजन” के साथ जोड़ते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस दिन माता लक्ष्मी की पूजा करने से व्यवसाय में समृद्धि होती है। - प्रतीकात्मकता:
यह परंपरा धन और समृद्धि का प्रतीक है, जो भारतीय समाज में धन और व्यापार की केंद्रीय भूमिका को दर्शाती है।
5. राजा बलि और भगवान वामन
एक अन्य कथा के अनुसार, दीपावली भगवान विष्णु के वामन अवतार और राजा बलि से भी जुड़ी है।
- कथा का वर्णन:
विष्णु पुराण के अनुसार, भगवान विष्णु ने वामन अवतार धारण करके राजा बलि से तीन पग भूमि का दान मांगा। राजा बलि ने अपनी बात के अनुसार वचन पूरा किया और भगवान विष्णु ने उन्हें पाताल लोक का स्वामी बना दिया। - प्रतीकात्मकता:
इस दिन को दक्षिण भारत में बलि प्रतिपदा के रूप में मनाया जाता है और इसे बलि राजा की भक्ति और दानशीलता का उत्सव माना जाता है।
6. जैन धर्म में दीपावली का महत्व
- कथा का वर्णन:
जैन धर्म के अनुसार, इस दिन भगवान महावीर ने निर्वाण प्राप्त किया था। यह आत्मज्ञान का प्रतीक है। - प्रतीकात्मकता:
दीपावली को जैन अनुयायी भगवान महावीर की शिक्षाओं और उनके निर्वाण का उत्सव मानकर मनाते हैं।
7. सिख धर्म में दीपावली

सिख धर्म में भी दीपावली का एक खास महत्व है।
- कथा का वर्णन:
सिख धर्म के इतिहास में यह दिन उस समय को दर्शाता है जब छठे गुरु, गुरु हरगोबिंद जी, ने ग्वालियर के किले से 52 राजाओं को मुगलों के बंदीगृह से मुक्त कराया था। - प्रतीकात्मकता:
इसे “बंदी छोड़ दिवस” के रूप में मनाया जाता है और यह सिख धर्म के अनुयायियों के लिए स्वतंत्रता और न्याय का प्रतीक है।
8. देवी काली की पूजा
पश्चिम बंगाल, ओडिशा और असम में दीपावली को देवी काली की पूजा के रूप में मनाया जाता है।
- कथा का वर्णन:
देवी काली, जो शक्ति और विनाश की देवी हैं, ने असुरों का संहार किया और धर्म की रक्षा की। - प्रतीकात्मकता:
देवी काली की पूजा के माध्यम से भक्त बुराई से मुक्ति और सत्य की प्राप्ति की कामना करते हैं।
9. अन्य परंपराएं और मान्यताएं
- गोवर्धन पूजा:
दीपावली के अगले दिन गोवर्धन पूजा मनाई जाती है, जो भगवान कृष्ण द्वारा गोवर्धन पर्वत उठाने और इंद्र देव के प्रकोप से गोकुलवासियों की रक्षा करने की घटना को दर्शाती है। - भाई दूज:
दीपावली का अंतिम दिन भाई-बहन के प्रेम को समर्पित होता है। इस दिन भाई अपनी बहन से आशीर्वाद प्राप्त करते हैं और बहन भाई की लंबी उम्र की कामना करती है।
10. आधुनिक संदर्भ में दीपावली
वर्तमान समय में, दीपावली केवल धार्मिक त्योहार तक सीमित नहीं है, बल्कि यह सामाजिक और सांस्कृतिक मेलजोल का भी प्रतीक है। लोग अपने घरों को रोशनी और सजावट से सजाते हैं, एक-दूसरे को मिठाइयां बांटते हैं, और पटाखे जलाते हैं।
निष्कर्ष

सनातन धर्म और भारतीय परंपराओं में दीपावली का महत्व बहुत गहरा और व्यापक है। यह त्योहार केवल धार्मिक दृष्टिकोण से नहीं, बल्कि सामाजिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। यह त्योहार हमें अच्छाई की विजय, आत्मज्ञान और आपसी भाईचारे का संदेश देता है।
दीपावली और राम कथा एक-दूसरे से गहराई से जुड़े हुए हैं। राम कथा हमें जीवन के आदर्श और धर्म का मार्ग दिखाती है, जबकि दीपावली उन आदर्शों को समाज में प्रसारित करने का अवसर प्रदान करती है। दीपावली केवल एक पर्व नहीं, बल्कि सत्य, धर्म, और प्रेम का संदेश है। यह हमें यह सिखाती है कि जीवन के हर अंधकार को सत्य और प्रकाश के माध्यम से दूर किया जा सकता है।
इस प्रकार, दीपावली का उत्सव केवल भगवान श्रीराम की विजय और अयोध्या वापसी का प्रतीक नहीं है, बल्कि यह हमारे भीतर के अज्ञान और अहंकार को जलाने का पर्व है। भगवान राम का आदर्श और दीपावली का संदेश, दोनों ही हमारे जीवन को सार्थक बनाने के लिए अमूल्य हैं।