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SANATANI KATHA MEIN KAILASH PARWAT KI MAHIMA

कैलाश पर्वत की महिमा: सनातनी कथाओं में महत्व

कैलाश पर्वत, जिसे ‘कैलाश पर्वत’ या ‘कैलाश पर्वत रेंज’ के नाम से भी जाना जाता है, विश्वभर में एक अद्वितीय धार्मिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक स्थल के रूप में प्रसिद्ध है। यह पर्वत हिमालय के तिब्बत क्षेत्र में स्थित है और हिंदू, बौद्ध, जैन तथा Bon धर्मों में अत्यधिक पूजनीय है। हिंदू धर्म में कैलाश पर्वत का विशेष महत्व है, क्योंकि इसे भगवान शिव का निवास स्थान माना जाता है। यहां भगवान शिव और उनकी पत्नी देवी पार्वती का निवास होता है। साथ ही, इस पर्वत को मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग भी माना जाता है।

कैलाश पर्वत का वर्णन कई पुराणों और धार्मिक ग्रंथों में मिलता है। विशेष रूप से, शिव पुराण, महाभारत, रामायण और भागवतम् में कैलाश पर्वत के महात्म्य को बताया गया है। हिंदू धर्म के अलावा, बौद्ध धर्म में भी कैलाश पर्वत को एक महत्वपूर्ण स्थल माना जाता है, जहां भगवान बुद्ध के अवतारों की पूजा होती है। इसके अतिरिक्त, जैन धर्म के अनुयायी भी इसे एक पवित्र स्थल मानते हैं, क्योंकि यह पर्वत जैन तीर्थंकर आदिनाथ की तपोभूमि के रूप में प्रसिद्ध है।

इस लेख में हम कैलाश पर्वत के धार्मिक, आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महात्म्य को विस्तार से समझेंगे, जो सनातनी कथाओं और धर्मों में पाया जाता है।

कैलाश पर्वत की भौगोलिक स्थिति और शारीरिक संरचना

कैलाश पर्वत तिब्बत के पश्चिमी क्षेत्र में स्थित है और इसकी ऊंचाई लगभग 6638 मीटर (21,778 फीट) है। यह पर्वत एक विशेष रूप से खड़ा और शिखर से लेकर आधार तक का संरचित पर्वत है, जो चार प्रमुख नदियों – सिंधु, ब्रह्मपुत्र, सतलुज और गंगका – के उद्गम स्थानों से जुड़ा हुआ है। यह पर्वत न केवल अपनी ऊंचाई बल्कि अपनी विशेष भौगोलिक संरचना के कारण भी अद्वितीय है। http://whois.tools4noobs.com/info/sanatanikatha.com

कैलाश पर्वत के चारों ओर विशाल बर्फ की चादर बिछी रहती है, जो इसे एक दिव्य स्थल के रूप में दर्शाती है। पर्वत का आकार और इसका शिखर किसी ज्यामितीय आकार की तरह दिखता है, जो इसे अन्य पर्वतों से अलग करता है। यह पर्वत धरती पर स्थित एकमात्र पर्वत है, जिसे चारों धर्मों ने अपना पवित्र स्थल माना है।

कैलाश पर्वत और हिंदू धर्म

कैलाश पर्वत को हिंदू धर्म में विशेष स्थान प्राप्त है। यहाँ भगवान शिव का निवास स्थान माना जाता है। भगवान शिव का परिवार, जिसमें देवी पार्वती, भगवान गणेश और भगवान कार्तिकेय शामिल हैं, इस पर्वत पर निवास करता है।

1. भगवान शिव का निवास स्थान:

कैलाश पर्वत को भगवान शिव के अभूतपूर्व महिमा और शक्ति का प्रतीक माना जाता है। पुराणों के अनुसार, कैलाश पर्वत भगवान शिव के ध्यान और तपस्या का स्थल है। शिव के बारे में कहा जाता है कि वे इस पर्वत की कंदराओं में ध्यानमग्न रहते हैं और यहां उन्हें अत्यधिक शांति और सिद्धि प्राप्त है। शिवपुराण में उल्लेख है कि इस पर्वत के शिखर पर भगवान शिव ने भगवान ब्रह्मा और भगवान विष्णु के साथ मिलकर त्रिमूर्ति का निर्माण किया था, जो सृष्टि, पालन और संहार के कार्यों में सहायक हैं।

2. माउंट कैलाश और यात्रा:

हिंदू धर्म के अनुयायी कैलाश पर्वत की यात्रा को बहुत पवित्र मानते हैं। माना जाता है कि इस पर्वत की परिक्रमा करने से व्यक्ति के सभी पाप समाप्त हो जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है। शिवपुराण के अनुसार, जो भी व्यक्ति कैलाश पर्वत की परिक्रमा करता है, उसे जन्म-मरण के चक्र से मुक्ति मिलती है। परिक्रमा करने का आदर्श मार्ग लगभग 52 किलोमीटर लंबा होता है, जिसे एक कठिन लेकिन आध्यात्मिक यात्रा के रूप में देखा जाता है। इस यात्रा के दौरान व्यक्ति को कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है, लेकिन यह यात्रा आत्मा की शुद्धि और मोक्ष की प्राप्ति का एक अनिवार्य मार्ग है।

3. कैलाश पर्वत का रुत्बा:

कैलाश पर्वत को भगवान शिव के त्रिकोणात्मक रूप के प्रतीक के रूप में देखा जाता है। कहा जाता है कि पर्वत के शिखर का आकार शिव के त्रिशूल जैसा होता है, जो शक्ति, ज्ञान और तपस्या का प्रतीक है। इसके अलावा, यहाँ पर विभिन्न धार्मिक घटनाओं का आयोजन भी होता है, जिनका संबंध भगवान शिव से होता है।

4. गंगा का उद्गम स्थान:

कैलाश पर्वत के पास एक छोटा सा झरना है, जो गंगा नदी का उद्गम स्थल माना जाता है। यह स्थान पवित्र गंगा नदी की उत्पत्ति का स्रोत है, जिसे ‘भगीरथी’ के नाम से भी जाना जाता है। हिंदू धर्म के अनुसार, गंगा नदी को पृथ्वी पर लाने के लिए भगवान शिव ने अपनी जटाओं में गंगा को धारण किया था, ताकि वह धरती पर बहे और सभी जीवों का उद्धार कर सके।

कैलाश पर्वत और बौद्ध धर्म

कैलाश पर्वत का बौद्ध धर्म में भी महत्वपूर्ण स्थान है। बौद्ध धर्म में इसे ‘कailash’ के नाम से जाना जाता है और यह स्थल विशेष रूप से तिब्बती बौद्धों के लिए पवित्र है।

1. बौद्धों का विश्वास:

बौद्ध धर्म के अनुयायी मानते हैं कि कैलाश पर्वत हिमालय के अन्य पर्वतों से एक अद्वितीय स्थान पर स्थित है और यह पर्वत “सुमेरु पर्वत” का प्रतीक है, जो बौद्ध धर्म के अनुसार ब्रह्मांड का केंद्र है। बौद्ध धर्म के सिद्धांतों के अनुसार, इस पर्वत को ध्यान और तपस्या का अत्यधिक शक्तिशाली केंद्र माना जाता है।

2. कैलाश पर्वत और तिब्बती बौद्ध धर्म:

तिब्बती बौद्ध धर्म में कैलाश पर्वत को विशेष स्थान प्राप्त है। इसे बौद्ध धर्म के बुद्ध के शरीर का प्रतीक माना जाता है, और यहां की परिक्रमा करने से बौद्ध अनुयायियों को मानसिक और आध्यात्मिक शांति प्राप्त होती है।

कैलाश पर्वत और जैन धर्म

कैलाश पर्वत को जैन धर्म में भी विशेष महत्व प्राप्त है। जैन धर्म के अनुयायी मानते हैं कि कैलाश पर्वत के शिखर पर जैन तीर्थंकर आदिनाथ ने तपस्या की थी। इस पर्वत को जैन धर्म के अनुयायियों के लिए एक पवित्र स्थल माना जाता है, क्योंकि यह उनके धार्मिक विचारों और सिद्धांतों के अनुरूप है।

कैलाश पर्वत का आध्यात्मिक महत्त्व

कैलाश पर्वत का आध्यात्मिक महत्त्व भी अत्यधिक है। इसे मोक्ष प्राप्ति का मार्ग माना जाता है। हिंदू, बौद्ध, और जैन धर्म में इसे ब्रह्मा, विष्णु, महेश और अन्य दिव्य शक्तियों का केंद्र माना जाता है। कैलाश पर्वत की परिक्रमा करने से व्यक्ति के पाप समाप्त हो जाते हैं और उसे आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है।

कैलाश पर्वत की महिमा और निष्कर्ष

कैलाश पर्वत का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व भारतीय उपमहाद्वीप में अत्यंत प्राचीन काल से है। यह पर्वत न केवल हिंदू धर्म, बल्कि बौद्ध, जैन और आदिवासी परंपराओं में भी एक पवित्र स्थान के रूप में प्रतिष्ठित है। कैलाश पर्वत को भगवान शिव का निवास स्थान माना जाता है और यह उनके तप, साधना और अद्वितीय शक्ति का प्रतीक है।

इस लेख में हम कैलाश पर्वत की महिमा और उसके महत्व को समझने की कोशिश करेंगे, साथ ही यह जानने की कोशिश करेंगे कि क्यों कैलाश पर्वत को सभी धर्मों में एक अनन्य स्थान प्राप्त है।

कैलाश पर्वत की भौगोलिक स्थिति और शारीरिक विशेषताएँ

कैलाश पर्वत हिमालय की कुछ सबसे ऊँची चोटियों में से एक है, जो तिब्बत (चीन) के पश्चिमी भाग में स्थित है। यह पर्वत 6,714 मीटर (22,028 फीट) की ऊंचाई तक फैला हुआ है। कैलाश पर्वत चार प्रमुख नदियों — सिंधु, ब्रह्मपुत्र, सतलुज, और गंगा — के उद्गम स्थल के रूप में कार्य करता है, जो इसे और भी महत्वपूर्ण बना देता है।

इस पर्वत के आसपास का इलाका प्राकृतिक रूप से बहुत दुर्गम है, और यह स्थान धार्मिक दृष्टि से भी बहुत पवित्र माना जाता है। इसकी अनोखी पिरामिड जैसी संरचना, जो चारों ओर से तिरछी है, इसे और भी रहस्यमय बनाती है।

कैलाश पर्वत के संबंध में कई धार्मिक कथाएँ प्रचलित हैं। इनमें सबसे प्रसिद्ध कथा ‘मानसरोवर’ और कैलाश के संबंध में है, जिसमें यह बताया जाता है कि भगवान शिव ने यहाँ अपने ध्यान में लीन होकर सम्पूर्ण सृष्टि का पालन और सृजन किया।

शिव के ध्यान का स्थान

कैलाश पर्वत को भगवान शिव का ध्यान स्थल भी माना जाता है। यहाँ पर भगवान शिव ने अपनी साधना की थी, जिससे उन्होंने अपनी परम शक्ति प्राप्त की। इसके अलावा, कैलाश पर्वत के चारों ओर एक खास ज्यामितीय संरचना पाई जाती है, जिसे ‘शिवलिंग’ के रूप में देखा जाता है। कुछ लोग इसे पृथ्वी पर भगवान शिव का रूप मानते हैं, जो पृथ्वी की सर्वोच्च शक्ति का प्रतीक है।

मानसरोवर की कथा

कैलाश पर्वत के पास ही मानसरोवर झील स्थित है, जिसे शुद्धता और तपस्या का प्रतीक माना जाता है। हिंदू मान्यता के अनुसार, यह झील स्वर्ग का प्रवेश द्वार है |

एक प्रसिद्ध कथा के अनुसार, भगवान शिव और माता पार्वती के मिलन से ही मानसरोवर की उत्पत्ति हुई थी। इसी झील में भगवान शिव के गंगाजल को स्नान करने के बाद संतों और भक्तों को पवित्रता प्राप्त होती है।

बौद्धों के लिए यह पर्वत केवल एक भौतिक स्थल नहीं है, बल्कि यह तंत्र साधना, ध्यान और साधकों की मानसिक शुद्धि के लिए एक आवश्यक स्थान है। बौद्ध धर्म के अनुयायी यहाँ तीर्थयात्रा करने आते हैं, ताकि वे अपनी आत्मा को शुद्ध कर सकें।

जैन धर्म में कैलाश पर्वत को ‘आदि कैलाश’ के रूप में पूजा जाता है, और माना जाता है कि यहाँ पर भगवान ऋषभदेव ने अपना दिव्य ध्यान किया था।

आदिवासी और अन्य धर्मों में कैलाश पर्वत

कैलाश पर्वत का महत्व केवल धर्मों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह आदिवासी समुदायों में भी अत्यधिक पूजनीय है। तिब्बत, नेपाल और भारत के कुछ हिस्सों में आदिवासी लोगों का मानना है कि कैलाश पर्वत के आस-पास के क्षेत्र में देवता और आत्माएँ निवास करती हैं, और यहाँ आकर उन्हें अदृश्य शक्तियाँ मिलती हैं।

कैलाश पर्वत पर यात्रा और ध्यान

कैलाश पर्वत की यात्रा का विशेष धार्मिक महत्व है। हर साल लाखों लोग इस पर्वत पर पहुँचने के लिए कठिन और जोखिमपूर्ण यात्रा करते हैं। कैलाश यात्रा के लिए विशेष मार्ग तैयार किए गए हैं, और कई यात्रियों को यहाँ पर ध्यान करने का अवसर भी मिलता है।

कैलाश यात्रा में यात्रा करने वाले भक्तों को इस पर्वत के चारों ओर “कैलीस कॉर्क” नामक 52 किलोमीटर लंबी यात्रा करनी होती है, जिसे कठिन और तपस्वी यात्रा माना जाता है। यह यात्रा एक तरह से आत्म-उन्नति और ध्यान का माध्यम होती है, और यहाँ पर आने से भक्तों को अद्वितीय शांति और सुख की अनुभूति होती है।

निष्कर्ष

कैलाश पर्वत की महिमा अनन्त और अपरिमेय है। यह पर्वत न केवल हिंदू, बौद्ध, जैन और अन्य धर्मों के अनुयायियों के लिए एक पवित्र स्थल है, बल्कि यह मानवता के लिए एक ऐसा अद्वितीय स्थान है, जहाँ प्रकृति, धर्म और आत्मा का संगम होता है। यहाँ की यात्रा और यहाँ की साधना जीवन को नया दृष्टिकोण देती है, और मानव आत्मा की गहरी समझ को जागृत करती है।

कैलाश पर्वत का गूढ़ और अदृश्य आकर्षण आज भी संसारभर के लोगों को अपनी ओर खींचता है, और इसे एक दिव्य और आध्यात्मिक केंद्र के रूप में पूजा जाता है।

कैलाश पर्वत न केवल भौगोलिक दृष्टिकोण से बल्कि धार्मिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से भी अत्यधिक महत्वपूर्ण है। यह पर्वत चार प्रमुख धर्मों के अनुयायियों के लिए एक पवित्र स्थल है, जो भगवान शिव, भगवान बुद्ध, जैन तीर्थंकरों और अन्य धार्मिक प्रतीकों से जुड़ा हुआ है। कैलाश पर्वत की यात्रा और इसकी महिमा ने न केवल धार्मिक दृष्टि से बल्कि जीवन के गहरे सत्य और उद्देश्य को समझने में भी सहायता की है। इस पर्वत का रहस्य और अद्वितीयता आज भी मानवता को आकर्षित करती है, और यह एक शक्तिशाली प्रतीक है, जो हमें आध्यात्मिक उन्नति और मोक्ष की ओर प्रेरित करता है।

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