महाभारत, सनातन धर्म की एक महान काव्यात्मक और धार्मिक ग्रंथ है, जिसे “पंचम वेद” भी कहा जाता है। यह काव्य महर्षि वेदव्यास द्वारा रचित है और इसमें 100,000 से अधिक श्लोक हैं। यह ग्रंथ न केवल एक महाकाव्य है, बल्कि इसमें धर्म, राजनीति, नीति, दर्शन, और मानव जीवन के सभी पहलुओं का गहन अध्ययन प्रस्तुत किया गया है।
महाभारत के पात्र (चरित्र) इतने गहन, जटिल और विविध हैं कि वे मानव स्वभाव और समाज की जटिलताओं को दर्शाते हैं। यह ग्रंथ प्रमुख रूप से दो वंशों, कौरव और पांडव, के संघर्ष को प्रस्तुत करता है, लेकिन इसके अलावा इसमें सैकड़ों अन्य पात्र और उनकी कहानियां भी जुड़ी हुई हैं। महाभारत के हर चरित्र में जीवन की एक अनूठी सीख छुपी हुई है।
1. श्रीकृष्ण

श्रीकृष्ण महाभारत के सबसे महत्वपूर्ण और केंद्रीय पात्र हैं। वे भगवान विष्णु के आठवें अवतार माने जाते हैं और भगवद् गीता के उपदेशक हैं। उन्होंने अर्जुन को धर्म और कर्म के मार्ग पर चलने की शिक्षा दी। श्रीकृष्ण का चरित्र नीति, प्रेम, और त्याग का अद्भुत संगम है। उन्होंने धर्म की स्थापना और अधर्म के विनाश के लिए कूटनीति और युद्ध दोनों का सहारा लिया।
2. अर्जुन
अर्जुन पांडवों में सबसे प्रमुख योद्धा और धर्म के प्रति समर्पित व्यक्ति हैं। उन्हें धर्म, सत्य और कर्तव्य का प्रतीक माना जाता है। अर्जुन ने भगवान श्रीकृष्ण से गीता के उपदेश प्राप्त किए और कुरुक्षेत्र के युद्ध में विजय प्राप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनका चरित्र आदर्श नायक और समर्पित शिष्य का प्रतीक है।
3. युधिष्ठिर
युधिष्ठिर पांडवों के ज्येष्ठ पुत्र थे और सत्यवादी धर्मराज के रूप में जाने जाते हैं। वे धर्म, न्याय, और सत्य के प्रतीक हैं। हालांकि, द्युत (जुआ) में उनकी कमजोरी ने उन्हें कठिन परिस्थितियों में डाल दिया, लेकिन उन्होंने हर चुनौती का सामना धैर्य और संयम के साथ किया।
4. भीम

भीम पांडवों में सबसे बलशाली थे और उनके शौर्य और क्रोध का वर्णन महाभारत में विस्तृत रूप से किया गया है। उनका चरित्र शक्ति और साहस का प्रतीक है। उन्होंने दुश्मनों को परास्त कर अपने परिवार की रक्षा की और दुर्योधन सहित कई कौरवों का वध किया।
5. द्रौपदी
द्रौपदी महाभारत की प्रमुख नारी पात्र हैं और पांच पांडवों की पत्नी थीं। उनका चरित्र साहस, आत्म-सम्मान और धैर्य का प्रतीक है। द्रौपदी ने पांडवों के साथ उनके हर संघर्ष में साथ दिया। उनके अपमान (द्रौपदी चीरहरण) ने कुरुक्षेत्र युद्ध के लिए आधार तैयार किया।
6. दुर्योधन
दुर्योधन कौरवों का मुख्य पात्र था और पांडवों का सबसे बड़ा विरोधी। उसका चरित्र अहंकार, लालच और अन्याय का प्रतीक है। हालांकि, वह अपने मित्रों और परिवार के प्रति वफादार था। उसकी महत्वाकांक्षा और हठ ने कौरवों के पतन का मार्ग प्रशस्त किया।
7. कर्ण
कर्ण महाभारत के सबसे त्रासदायक और प्रेरक पात्रों में से एक हैं। वे सूर्यदेव और कुंती के पुत्र थे, लेकिन उन्हें सूतपुत्र के रूप में पाला गया। उनका जीवन संघर्ष, दानवीरता और वफादारी का प्रतीक है। कर्ण ने दुर्योधन का साथ दिया, क्योंकि उन्होंने उसे समाज में सम्मान दिया था। उनका चरित्र नैतिकता और वफादारी के बीच संघर्ष को दर्शाता है।
8. शकुनि

शकुनि कौरवों के मामा थे और महाभारत में कूटनीति और छल का प्रतीक हैं। उन्होंने अपनी बुद्धि और छल के बल पर दुर्योधन को पांडवों के खिलाफ उकसाया और महाभारत के युद्ध का कारण बने। उनका चरित्र यह सिखाता है कि बुद्धि का दुरुपयोग विनाशकारी हो सकता है।
9. भीष्म पितामह
भीष्म पितामह महाभारत के आदर्श और त्याग का प्रतीक हैं। वे हस्तिनापुर के महान योद्धा और संरक्षक थे। भीष्म ने अपने पिता की इच्छा पूरी करने के लिए आजीवन ब्रह्मचर्य का व्रत लिया। उनका चरित्र कर्तव्यनिष्ठा और त्याग का प्रतीक है।
10. द्रोणाचार्य
द्रोणाचार्य कौरव और पांडवों के गुरु थे। वे महान धनुर्धर और शिक्षक थे। उनका जीवन एक गुरु के कर्तव्य और अपने निजी भावनाओं के बीच संतुलन की कठिनाइयों को दर्शाता है। https://www.reddit.com/search?q=sanatanikatha.com&sort=relevance&t=all
11. कुंती
कुंती पांडवों की माता थीं और एक नारी के रूप में उनका चरित्र संघर्ष और बलिदान का प्रतीक है। उन्होंने अपने पुत्रों को धर्म और नीति का पालन करना सिखाया। उनके जीवन में कई कठिनाइयाँ थीं, लेकिन उन्होंने धैर्य और बुद्धिमानी से उनका सामना किया।
12. गांधारी
गांधारी कौरवों की माता थीं। उनका चरित्र त्याग और समर्पण का प्रतीक है। उन्होंने अपने पति धृतराष्ट्र के अंधत्व का सम्मान करते हुए स्वयं भी अपनी आँखों पर पट्टी बांध ली। उनका यह कदम सच्चे प्रेम और समर्पण का उदाहरण है, लेकिन उनके पुत्रों की अन्यायपूर्ण कार्यवाही के कारण उन्हें अपने वंश का विनाश देखना पड़ा।
13. विदुर

विदुर महाभारत में न्याय और नीति के प्रतीक हैं। वे हस्तिनापुर के मंत्री और कौरव-पांडव वंश के शुभचिंतक थे। विदुर नीति के माध्यम से उन्होंने राजा और प्रजा को धर्म के मार्ग पर चलने की शिक्षा दी।
14. धृतराष्ट्र
धृतराष्ट्र कौरवों के पिता और हस्तिनापुर के अंधे राजा थे। उनका चरित्र मोह और पक्षपात का प्रतीक है। उन्होंने अपने पुत्र दुर्योधन के अन्यायपूर्ण कार्यों को रोकने में असमर्थता दिखलाई, जो महाभारत युद्ध का प्रमुख कारण बना।
15. अश्वत्थामा
अश्वत्थामा द्रोणाचार्य के पुत्र थे और महाभारत के एक प्रमुख योद्धा थे। उनका चरित्र क्रोध और प्रतिशोध का प्रतीक है। युद्ध के अंत में उनके द्वारा किया गया ब्रह्मास्त्र प्रयोग विनाशकारी सिद्ध हुआ।
16. सत्यवती और शांति पर्व की कथा
सत्यवती, भीष्म पितामह की सौतेली माँ थीं, और महाभारत की कहानी का आरंभ उनके और पराशर ऋषि के विवाह से होता है। उन्होंने हस्तिनापुर के सिंहासन के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
महाभारत के चरित्रों :-
महाभारत, भारतीय संस्कृति और इतिहास का एक महान ग्रंथ है। यह न केवल एक धार्मिक और आध्यात्मिक ग्रंथ है, बल्कि मानवीय जीवन के विभिन्न पहलुओं को भी प्रकट करता है। इसमें वर्णित प्रत्येक चरित्र अपने आप में अद्वितीय और प्रेरणादायक है। इस महाकाव्य में जो घटनाएं और चरित्र चित्रण हैं, वे हमारे जीवन को दिशा प्रदान करने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। यहाँ महाभारत के कुछ प्रमुख चरित्रों और उनके जीवन से जुड़े संदेशों पर विस्तार से चर्चा की गई है।
1. श्रीकृष्ण: धर्म और नीति का मार्गदर्शन

महाभारत में श्रीकृष्ण सबसे महत्वपूर्ण चरित्र हैं। वे न केवल अर्जुन के सारथी थे, बल्कि पूरी कहानी के केंद्रबिंदु भी थे। श्रीकृष्ण का जीवन धर्म, भक्ति और नीति का प्रतीक है। उन्होंने भगवद गीता के माध्यम से “कर्मयोग” का संदेश दिया, जिसमें जीवन के हर परिस्थिति में अपने कर्तव्यों का पालन करना सिखाया गया है। उनके जीवन का सबसे बड़ा संदेश यह है कि सत्य और धर्म के मार्ग पर चलना ही मनुष्य का वास्तविक धर्म है।
2. युधिष्ठिर: सत्य और न्याय के प्रतीक
युधिष्ठिर धर्मराज के नाम से प्रसिद्ध थे। वे सत्य और न्याय के मार्ग पर चलने वाले व्यक्ति थे। हालांकि, उनका एक नकारात्मक पक्ष यह था कि उनकी जुए की आदत ने उन्हें बड़े संकट में डाल दिया। इस आदत के कारण उन्होंने अपनी पत्नी द्रौपदी और अपने राज्य को भी दांव पर लगा दिया। युधिष्ठिर का चरित्र हमें यह सिखाता है कि अत्यधिक नैतिकता भी कभी-कभी दुर्बलता बन सकती है, और जीवन में संतुलन बनाए रखना आवश्यक है।
3. भीम: शक्ति और कर्तव्यपरायणता का प्रतीक
भीम, पांडवों में सबसे शक्तिशाली थे। वे साहस, निडरता और अपने परिवार के प्रति समर्पण के प्रतीक थे। उनकी दृढ़ता और निष्ठा अद्वितीय थी। भीम का चरित्र यह सिखाता है कि शक्ति का उपयोग केवल सही उद्देश्य और न्याय के लिए होना चाहिए।
4. अर्जुन: अनुशासन और संघर्ष का प्रतीक
अर्जुन महाभारत के सबसे कुशल योद्धा थे। उनकी धनुर्विद्या अद्वितीय थी और उन्होंने श्रीकृष्ण के मार्गदर्शन में धर्मयुद्ध लड़ा। अर्जुन का चरित्र यह सिखाता है कि जब हमें अपने कर्तव्यों का पालन करने में दुविधा हो, तो गुरु और ईश्वर का मार्गदर्शन प्राप्त करना चाहिए। उनके जीवन से यह भी पता चलता है कि अनुशासन, समर्पण और मेहनत सफलता के लिए आवश्यक हैं।
5. द्रौपदी: आत्मसम्मान और साहस की प्रतीक

द्रौपदी महाभारत की सबसे जटिल और प्रेरणादायक चरित्रों में से एक हैं। उनके जीवन ने भारतीय नारी के आत्मसम्मान और साहस को उजागर किया। जुए में हारने के बाद उनकी स्थिति अत्यंत दयनीय थी, लेकिन उन्होंने कभी अपने आत्मसम्मान को नहीं खोया। उनका चरित्र यह सिखाता है कि कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी अपने अधिकारों और आत्मसम्मान के लिए खड़े रहना चाहिए।
6. दुर्योधन: अहंकार और अधर्म का प्रतीक
दुर्योधन महाभारत का मुख्य प्रतिनायक था। उसका अहंकार और लोभ कौरवों के पतन का मुख्य कारण बना। उसने अपने स्वार्थ के लिए अन्याय और अधर्म का सहारा लिया। दुर्योधन का चरित्र यह सिखाता है कि अहंकार और अधर्म हमेशा विनाश का कारण बनते हैं।
7. कर्ण: दानवीरता और दुख का प्रतीक
कर्ण, जिन्हें “दानवीर कर्ण” कहा जाता है, महाभारत का एक त्रासदीपूर्ण चरित्र है। वे सूर्यपुत्र थे, लेकिन अपने जन्म के रहस्य और जातिगत भेदभाव के कारण जीवन भर संघर्ष करते रहे। कर्ण ने अपने मित्र दुर्योधन के प्रति निष्ठा निभाई, लेकिन अंततः अधर्म का साथ देने के कारण उनकी मृत्यु हुई। उनका जीवन यह सिखाता है कि सही मार्ग चुनना अत्यंत आवश्यक है, चाहे परिस्थिति कितनी भी कठिन क्यों न हो।
8. शकुनि: षड्यंत्र और कूटनीति का प्रतीक

शकुनि कौरवों के मामा और महाभारत के सबसे चतुर कूटनीतिज्ञ थे। उनका मुख्य उद्देश्य पांडवों का नाश करना था। शकुनि का चरित्र यह सिखाता है कि कूटनीति यदि गलत उद्देश्यों के लिए की जाए, तो यह विनाश का कारण बन सकती है।
9. भीष्म पितामह: त्याग और कर्तव्यनिष्ठा का प्रतीक
भीष्म पितामह ने अपने जीवन में त्याग और कर्तव्य का सबसे बड़ा उदाहरण प्रस्तुत किया। उन्होंने अपनी प्रतिज्ञा के लिए अपना पूरा जीवन त्याग दिया। लेकिन उनके जीवन का दुखद पक्ष यह था कि वे धर्म के पक्ष में होते हुए भी कौरवों का साथ देने के लिए विवश थे। उनका जीवन यह सिखाता है कि केवल कर्तव्यनिष्ठा ही पर्याप्त नहीं है; सही और गलत के बीच निर्णय लेना भी उतना ही महत्वपूर्ण है।
10. धृतराष्ट्र और गांधारी: माता-पिता का दायित्व और त्रुटियां
धृतराष्ट्र और गांधारी, कौरवों के माता-पिता, अपने पुत्र मोह के कारण अधर्म का समर्थन करते रहे। उनका जीवन यह सिखाता है कि माता-पिता को अपने बच्चों के सही-गलत का आकलन करके उचित मार्गदर्शन देना चाहिए। अंधे प्रेम का परिणाम संपूर्ण परिवार के लिए विनाशकारी हो सकता है।
महाभारत के चरित्रों से प्राप्त शिक्षाएं
- धर्म का पालन: महाभारत का मुख्य संदेश है कि धर्म का पालन जीवन में सबसे महत्वपूर्ण है।
- कर्तव्य और कर्म: प्रत्येक व्यक्ति को अपने कर्तव्यों का पालन करते हुए कर्म करते रहना चाहिए, जैसा कि श्रीकृष्ण ने गीता में सिखाया।
- संतुलन और विवेक: अति नैतिकता, अति अहंकार, या अति भावनात्मकता कभी भी सही नहीं होती। जीवन में संतुलन और विवेक बनाए रखना आवश्यक है।
- स्त्री का सम्मान: द्रौपदी के अपमान ने महाभारत युद्ध को जन्म दिया। इससे यह स्पष्ट होता है कि स्त्री के सम्मान की रक्षा करना समाज की जिम्मेदारी है।
- नैतिकता और मार्गदर्शन: महाभारत यह सिखाता है कि जब भी हम दुविधा में हों, तो ज्ञान और सत्य का मार्गदर्शन लेना चाहिए।
निष्कर्ष

महाभारत केवल एक ग्रंथ नहीं, बल्कि जीवन के विभिन्न पहलुओं का दर्पण है। इसमें वर्णित प्रत्येक चरित्र हमें कुछ न कुछ सिखाता है। चाहे वह धर्म, कर्तव्य, साहस, या त्याग हो, महाभारत की कहानियां हमारे जीवन को दिशा प्रदान करती हैं। हर चरित्र अपनी अच्छाई और बुराई के माध्यम से हमें जीवन जीने की कला सिखाता है।
महाभारत के इन पात्रों के जीवन, उनके गुणों, दोषों और संघर्षों के माध्यम से हमें जीवन के विभिन्न पहलुओं को समझने का अवसर मिलता है। यह ग्रंथ सिखाता है कि सत्य, धर्म, और कर्तव्य का पालन करना मनुष्य का मुख्य लक्ष्य होना चाहिए। महाभारत के हर पात्र का जीवन हमें प्रेरणा देता है कि हर परिस्थिति में धैर्य और सच्चाई के साथ जीना चाहिए।
यह महाकाव्य समय के साथ भी उतना ही प्रासंगिक है जितना अपने समय में था। इसके पात्रों की गहराई और कहानियों की व्यापकता इसे विश्व साहित्य का अमूल्य खजाना बनाती है।